मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


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Thursday, 12 January 2017

जाने क्यूं मेरी नींदों के हाथ नहीं पीले होते-अलोक श्रीवास्तव

जाने क्यूं मेरी नींदों के हाथ नहीं पीले होते, पलकों से लौटी हैं कितने सपनों की बारातें सच.




अलोक श्रीवास्तव

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया-अलोक श्रीवास्तव

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया, बच्चों के स्कूल में शायद तुमसे मिली नहीं है दुनिया.


अलोक श्रीवास्तव