उसूलों पर जहाँ आँच आए, टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर, ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है
- वसीम बरेलवी
मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.
उसूलों पर जहाँ आँच आए, टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर, ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है
- वसीम बरेलवी
कितना दुश्वार था दुनिया ये हुनर आना भी
तुझ से ही फ़ासला रखना तुझे अपनाना भी।
वसीम बरेलवी
वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता ,
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता ....
वसीम बरेलवी