मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


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Monday, 7 August 2017

अरिहत चिरंतन है-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी





कह गए अनगिनत सन्तन है,
चित संलिप्त नित चिंतन है।
स्थितप्रज्ञ उपरत अविकल जो,
 अरिहत चिरंतन है।


                   बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
                   उर्फ
                   अजय अमिताभ सुमन

Tuesday, 1 August 2017

अहम का था बना वो -बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

अहम का था बना वो, वहम में हिल गया,
मिट्टी से न जुड़ा था , मिट्टी में मिल गया।



बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
उर्फ
अजय अमिताभ सुमन

Friday, 9 June 2017

पत्नी-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

बिन गाया गीत था "बेनाम"  लिखा गजलो की तरह,
चूमना था जिस फूल को , रखा फसलो की तरह।

           अजय अमिताभ सुमन
           उर्फ
           बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

Sunday, 19 March 2017

इंतेखाब-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

तेरे नाज-ओ-नखरे  हिजाबों में है,
मेरी अजमत बेनाम  ख्वाबों में है ।

           
            बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
            उर्फ़
            अजय अमिताभ सुमन

हकीकत-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

हक़ीक़ते जीवन की, हिजाब कर गई,
बचपन में थी उम्मीदे,ख्वाब कर गई।

                   बेनाम कोहड़ाबाज़ारी
                   उर्फ़
                   अजय अमिताभ सुमन

Monday, 13 March 2017

प्यास-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

बेनाम के प्यास की, बात ही कुछ खास है,
समंदर से कुछ भी न , कम की तलाश है।

               बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
               उर्फ़
               अजय अमिताभ सुमन

Tuesday, 21 February 2017

इंसान की तरह-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

पूरा समंदर के माफिक, न खाली आसमान की तरह,
"बेनाम" जिए  तो क्या जिए  ,महज एक इंसान की तरह।

         बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
         उर्फ़
         अजय अमिताभ सुमन

वज़ह-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

जो दिख रहा इंसान, कहाँ होता है,
जो जिस्म के पीछे, वजह होता है।

     बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
     उर्फ़
     अजय अमिताभ सुमन

Monday, 20 February 2017

अंदाज-ए-बेनाम

रूह की आवाज को कुछ यूँ सजा रखता है,
जज्बात ऊँचे "बेनाम" अल्फ़ाज़ आसां रखता है।

             बेनाम कोहडा बाज़ारी
             उर्फ़
             अजय अमिताभ सुमन

Thursday, 16 February 2017

सजा-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

सजा सुनाई तूने, क्या खूब इस गुनाह की,
कि हाथ उठाई भी नहीं, और वो नजरों से गिर गया।

               बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
               उर्फ़
               अजय अमिताभ सुमन

Monday, 6 February 2017

फितूर-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

तेरा ऐब है कि खासियत,"बेनाम"का फितूर है,
तुझे चाहे नचाहे ख्वाबों में,  होता  तू जरूर है।

            बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
            उर्फ़
            अजय अमिताभ सुमन

रोटी और ग़ज़ल

नसीब नहीं होता रोटी को ग़ज़ल का साथ,
कभी रोटी खा जाती है ग़ज़ल को, कभी रोटी को ग़ज़ल।

                          बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
                          उर्फ़
                          अजय अमिताभ सुमन

Sunday, 5 February 2017

बुरा आदमी-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

जितने भी घाव दिए उसने, मेरी छाती पे ही दिये,
वो आदमी था बुरा जरूर, पर इतना बुरा भी नहीं।

                        बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
                        उर्फ़
                        अजय अमिताभ सुमन

Thursday, 2 February 2017

अख्तियार-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

क्या खूब अख्तियार है, पीने पे जनाब ,
कि अच्छा पीने से पहले, और उम्दा पीने के बाद।

           बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
           उर्फ़
           अजय अमिताभ सुमन

खता-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

न अता होता है, न खता होता है,
जो कुछ किया है, मुझे पता होता है।

       बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
       उर्फ़
       अजय अमिताभ सुमन

Wednesday, 1 February 2017

मुकम्मल-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

थमते नहीं हैं आँसू, दीन-ओ-आवाम के,
चलो गजल कुछ मीठे जज्बात दे आएं,
हँसा सके सबको , ये है नहीं मुकम्मल,
चलो "बेनाम" प्यार की बरसात दे आएं।

         बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
         उर्फ़
         अजय अमिताभ सुमन

                      

वकालत-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

मुद्दों  के बिना बगावत नहीं चलती,
किताब के बिना अदालत नहीं सजती,
कानून को जान के बनता नहीं कोई वकील,
पेट में दांत ना हो,  तो वकालत नहीं चलती।

                       बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
                       उर्फ़
                       अजय अमिताभ सुमन
 
         

               

बदलना-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

रोटी की जद्दोजहद में , "बेनाम" तू बदला कहाँ,
पहले खा नहीं सकते थे, अब खा नहीं पाते।

                             बेनाम कोहडा बाज़ारी
                             उर्फ़
                             अजय अमिताभ सुमन

Sunday, 29 January 2017

रिश्ता-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी


कौन कहता है "बेनाम", रिश्ता नहीं निभाया था,
तुमने जितना तड़पाया था, मैंने उतना सताया था।

                        बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
                        उर्फ़
                        अजय अमिताभ सुमन

जताना-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

क्या खूब हो दर्द को जताते भी नहीं,
बताते भी नहीं, छुपाते भी नहीं।

   बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
   उर्फ़
   अजय अमिताभ सुमन