बहुत दिनों के बाद छिड़ी है वीणा की झंकार अभय
बहुत दिनों के बाद समय ने गाया मेघ मल्हार अभय
बहुत दिनों के बाद किया है शब्दों ने श्रृंगार अभय
बहुत दिनों के बाद लगा है वाणी का दरबार अभय
बहुत दिनों के बाद उठी है प्राणों में हूंकार अभय
बहुत दिनों के बाद मिली है अधरों को ललकार अभय
बहुत दिनों के बाद समय ने गाया मेघ मल्हार अभय
बहुत दिनों के बाद किया है शब्दों ने श्रृंगार अभय
बहुत दिनों के बाद लगा है वाणी का दरबार अभय
बहुत दिनों के बाद उठी है प्राणों में हूंकार अभय
बहुत दिनों के बाद मिली है अधरों को ललकार अभय
मैं यथार्थ का शिला लेख हूँ भोजपत्र वरदानों का
चिंतन में दर्पण हूँ भारत के घायल अरमानों का
चिंतन में दर्पण हूँ भारत के घायल अरमानों का
इसी लिए मैं शंखनाद कर अलख जगाने वाला हूँ
अग्निवंश के चारण कुल की भाषा गाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
कलमकार हूँ कलमकार का धर्म निभाने वाला हूँ
अग्निवंश के चारण कुल की भाषा गाने वाला हूँ
कलमकार हूँ इन्कलाब के गीत सुनाने वाला हूँ
कलमकार हूँ कलमकार का धर्म निभाने वाला हूँ
हरिओम पंवार