मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


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Saturday 25 April 2015

नागार्जुन-तेरे दरबार में क्या चलता है ?

तेरे दरबार में
क्या चलता है ?
मराठी-हिन्दी
गुजराती-कन्नड़ ?
ताता गोदरेजवाली
पारसी सेठों की बोली ?
उर्दू—गोआनीज़ ?
अरबी-फारसी....
यहूदियों वाली वो क्या तो
कहलाती है, सो, तू वो भी
भली भाँति समझ लेती
तेरे दरबार में क्या नहीं
समझा जाता है !

मोरी मइया, नादान मैं तो
क्या जानूँ हूँ !
सेठों के लहजे में कहूँ तो—‘‘भूल-चूक लेणी-देणी.....’’

तेरे खास पुजारी
गलत-सलत ही सही
संस्कृत भाषा वाली
विशुद्ध ‘देववाणी’
चलाते होंगे....
मगर मैया तू तो
अंग्रेजी-फ्रेंच-पुर्तगीज
चाइनीज और जापानी
सब कुछ समझ लेती ही है
नेल्सन मंडेला के यहाँ से
लोग-बाग आते ही रहते हैं....

अरे वाह ! देखो मनहर,
अम्बा ने सिर हिला दिया !
जै हो अम्बे !
नौ बरस की लम्बी
सजा दे दी....
चलो, ये भी ठीक रहा !!
देख मनहर भइया
मुस्करा रही है ना !
चल मनहर मइया ने
सिर हिला दिया, देख रे !
अब तो बार-बार
भागा आऊँगा मनहर !

नागार्जुन-तीनों बंदर बापू के

बापू के भी ताऊ निकले तीनों बंदर बापू के
सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बंदर बापू के
सचमुच जीवनदानी निकले तीनों बंदर बापू के
ज्ञानी निकले, ध्यानी निकले तीनों बंदर बापू के
जल-थल-गगन-बिहारी निकले तीनों बंदर बापू के
लीला के गिरधारी निकले तीनों बंदर बापू के!

सर्वोदय के नटवर लाल
फैला दुनिया भर में जाल
अभी जिएंगे ये सौ साल
ढाई घर घोड़े की चाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवर लाल!

लंबी उमर मिली है, खुश हैं तीनों बंदर बापू के
दिल की कली खिली है, खुश हैं तीनों बंदर बापू के
बूढ़े हैं, फिर भी जवान हैं तीनों बंदर बापू के
परम चतुर हैं, अति सुजान हैं तीनों बंदर बापू के
सौवीं बरसी मना रहे हैं तीनों बंदर बापू के
बापू को ही बना रहे हैं तीनों बंदर बापू के!

खूब होंगे मालामाल
खूब गलेगी उनकी दाल
औरों की टपकेगी राल
इनकी मगर तनेगी पाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवर लाल!

सेठों क हित साध रहे हैं तीनों बंदर बापू के
युग पर प्रवचन लाद रहे हैं तीनों बंदर बापू के
सत्य-अहिंसा फाँक रहे हैं तीनों बंदर बापू के
पूँछों से छवि आँक रहे हैं तीनों बंदर बापू के
दल से ऊपर, दल के नीचे तीनों बंदर बापू के
मुस्काते हैं आंखें मीचे तीनों बंदर बापू के!

छील रहे गीता की खाल
उपनिषदें हैं इनकी ढाल
उधर सजे मोती के थाल
इधर जमे सतजुगी दलाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवर लाल!

मड़ रहे दुनिया-जहान को तीनों बंदर बापू के
चिढ़ा रहे हैं आसमान को तीनों बंदर बापू के
करें रात-दिन टूर हवाई तीनों बंदर बापू के
बदल-बदल कर चखें मलाई तीनों बंदर बापू के
गांधी-छाप झूल डाले हैं तीनों बंदर बापू के
असली हैं, सर्कस वाले हैं तीनों बंदर बापू के!

दिल चटकीला, उजले बाल
नाप चुके हैं गगन विशाल
फूल गए हैं कैसे गाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवर लाल!

हमें अँगूठा दिखा रहे हैं तीनों बंदर बापू के
कैसी हिकमत सिखा रहे हैं तीनों बंदर बापू के
प्रेम-पगे हैं, शहद-सने हैं तीनों बंदर बापू के
गुरुओं के भी गुरू बने हैं तीनों बंदर बापू के
सौवीं बरसी मना रहे हैं तीनों बंदर बापू के
बापू को ही बना रहे हैं तीनों बंदर बापू के।

नागार्जुन-बाकी बच गया अंडा

पाँच पूत भारत माता के, दुश्मन था खूंखार
गोली खाकर एक मर गया, बाक़ी रह गये चार


चार पूत भारत माता के, चारों चतुर-प्रवीन

देश-निकाला मिला एक को, बाकी रह गये तीन


तीन पूत भारत माता के, लड़ने लग गए वो

अलग हो गया उधर एक, अब बाकी बच बच गए दो


दो बेटे भारत माता के, छोड़ पुरानी टेक

चिपक गया है एक गद्दी से, बाकी बच गया है एक

एक पूत भारत माता का, कंधे पर है झंडा

पुलिस पकड़ के जेल ले गई, बाक़ी बच गया अंडा

Friday 17 April 2015

चंदू, मैंने सपना देखा-नागार्जुन

चंदू, मैंने सपना देखा, उछल रहे तुम ज्यों हिरनौटा 
चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से हूँ पटना लौटा 
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम्हें खोजते बद्री बाबू 
चंदू,मैंने सपना देखा, खेल-कूद में हो बेकाबू 

मैंने सपना देखा देखा, कल परसों ही छूट रहे हो
चंदू, मैंने सपना देखा, खूब पतंगें लूट रहे हो 
चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कैलंडर 
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर मैं हूँ अंदर
चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से पटना आए हो 
चंदू, मैंने सपना देखा, मेरे लिए शहद लाए हो 

चंदू मैंने सपना देखा, फैल गया है सुयश तुम्हारा 
चंदू मैंने सपना देखा, तुम्हें जानता भारत सारा 
चंदू मैंने सपना देखा, तुम तो बहुत बड़े डाक्टर हो 
चंदू मैंने सपना देखा, अपनी ड्यूटी में तत्पर हो 

चंदू, मैंने सपना देखा, इम्तिहान में बैठे हो तुम 
चंदू, मैंने सपना देखा, पुलिस-यान में बैठे हो तुम 
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर, मैं हूँ अंदर
चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कैलेंडर 

अकाल और उसके बाद-नागार्जुन

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास 
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास 
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त 
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद 
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद 
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद 
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।

तीनों बन्दर बापू के-नागार्जुन

बापू के भी ताऊ निकले तीनों बन्दर बापू के!
सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बन्दर बापू के!
सचमुच जीवनदानी निकले तीनों बन्दर बापू के!
ग्यानी निकले, ध्यानी निकले तीनों बन्दर बापू के!
जल-थल-गगन-बिहारी निकले तीनों बन्दर बापू के!
लीला के गिरधारी निकले तीनों बन्दर बापू के!

सर्वोदय के नटवरलाल
फैला दुनिया भर में जाल
अभी जियेंगे ये सौ साल
ढाई घर घोड़े की चाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवरलाल

लम्बी उमर मिली है, ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के!
दिल की कली खिली है, ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के!
बूढ़े हैं फिर भी जवान हैं ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के!
परम चतुर हैं, अति सुजान हैं ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के! 
सौवीं बरसी मना रहे हैं ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के!
बापू को हीबना रहे हैं ख़ुश हैं तीनों बन्दर बापू के!

बच्चे होंगे मालामाल
ख़ूब गलेगी उनकी दाल
औरों की टपकेगी राल
इनकी मगर तनेगी पाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवरलाल

सेठों का हित साध रहे हैं तीनों बन्दर बापू के!
युग पर प्रवचन लाद रहे हैं तीनों बन्दर बापू के!
सत्य अहिंसा फाँक रहे हैं तीनों बन्दर बापू के!
पूँछों से छबि आँक रहे हैं तीनों बन्दर बापू के!
दल से ऊपर, दल के नीचे तीनों बन्दर बापू के!
मुस्काते हैं आँखें मीचे तीनों बन्दर बापू के!

छील रहे गीता की खाल
उपनिषदें हैं इनकी ढाल
उधर सजे मोती के थाल
इधर जमे सतजुगी दलाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवरलाल

मूंड रहे दुनिया-जहान को तीनों बन्दर बापू के!
चिढ़ा रहे हैं आसमान को तीनों बन्दर बापू के!
करें रात-दिन टूर हवाई तीनों बन्दर बापू के! 
बदल-बदल कर चखें मलाई तीनों बन्दर बापू के!
गाँधी-छाप झूल डाले हैं तीनों बन्दर बापू के!
असली हैं, सर्कस वाले हैं तीनों बन्दर बापू के!

दिल चटकीला, उजले बाल
नाप चुके हैं गगन विशाल
फूल गए हैं कैसे गाल
मत पूछो तुम इनका हाल
सर्वोदय के नटवरलाल

हमें अँगूठा दिखा रहे हैं तीनों बन्दर बापू के!
कैसी हिकमत सिखा रहे हैं तीनों बन्दर बापू के!
प्रेम-पगे हैं, शहद-सने हैं तीनों बन्दर बापू के!
गुरुओं के भी गुरु बने हैं तीनों बन्दर बापू के! 
सौवीं बरसी मना रहे हैं तीनों बन्दर बापू के!
बापू को ही बना रहे हैं तीनों बन्दर बापू के!