मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


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Tuesday 27 June 2017

काम मुश्किल है बहुत पर ना-मुमकिन तो नही

काम मुश्किल है बहुत पर ना-मुमकिन तो नही
किसी रोते हुऐ बच्चे को हंसा दो तो ईद हो जाए

Monday 26 June 2017

आसमान पर ठिकाने किसी के नहीं होते,

आसमान पर ठिकाने किसी के नहीं होते,
जो जमी के नहीं होते वो कहीं के नहीं होते।

Saturday 24 June 2017

मेरे लिखे लफज़ ही पढ़ पाया वो बस ,

मेरे लिखे लफज़ ही पढ़ पाया वो बस ,
मुझे भी पढ़ पाए इतनी उसकी तालीम नहीं.

Thursday 22 June 2017

सियासत को लहु पीने की लत है,

सियासत को लहु पीने की लत है,
वगरना मुल्क मे सभी खैरियत से है।

Wednesday 21 June 2017

कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं

कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं,
ये बारिशें भी कुछ कुछ तुम सी हैं...!

किससे सीखूँ खुदा की बंदगी,सब लोग खुदा का बंटवारा किये बैठे हैं

किससे सीखूँ खुदा की बंदगी,सब लोग खुदा का बंटवारा किये बैठे हैं
जो लोग कहते हैं खुदा कण कण में है,वही मंदिर,मस्जिद, गुरूद्वारा लिये बैठे हैं

Friday 16 June 2017

खाने बैठता हूँ तो मुझे एक बात सताती हैं

​खाने बैठता हूँ तो मुझे एक बात सताती हैं कि

ये चार रोटी मुझे कैसे दिन - रात भगाती है

Tuesday 17 January 2017

वो बेनकाब हुआ आकर मेरे ही ख्वाबों में-अज्ञात

जिसे मैं ढूँढ रहा था कभी किताबों में,
वो बेनकाब हुआ आकर मेरे ही ख्वाबों में.

अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर ख़ामोश-अज्ञात

किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं,

अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर ख़ामोश.

Friday 13 January 2017

जिंदगी जीने का कुछ ऐसा अंदाज रखो

जिंदगी जीने का कुछ ऐसा अंदाज रखो।
जो तम्हे न समझे उसे नजरअंदाज रखो।

Thursday 12 January 2017

चौबीस घंटे लड़ना मुझसे है काम तेरा

चौबीस घंटे लड़ना मुझसे है काम तेरा
रक्खा है करके तूने जीना हराम मेरा
अंगरेज बन के आई घर में तू मेरे गोरी
मैं बन के रह गया हूँ काला गुलाम तेरा
बेरोज़गार था मैं अब काम से हूँ बेदम
उस पर भी लानतें हैं तेरी इनाम मेरा
मर्ज़ी का था मैं मालिक अब हुक्म बजाता हूँ
क्या खूब कर दिया है तूने इंतजाम मेरा
कोल्हू के बैल जैसा मेरा हाल हो गया है
चक्कर लगा रहा हूँ बस सुबहो-शाम तेरा
आफ़त की है तू पुडिया मेरी जान की है दुश्मन
ऐ मुश्किलों की मलिका तुझको प्रणाम मेरा
कुछ लोग बीवियों से डरते नहीं, सुना है
ऐसे बहादुरों को फर्शी सलाम मेरा

Saturday 10 September 2016

जन्नत

उन्हें कैसे मिलेगी माँ के पैरों जन्नत,
खुद की बेटियां जिन्हें अच्छी नहीं लगती।

Wednesday 12 August 2015

शराब मोबाइल और ड्राइवर

मैं एक दुकान में
खरीददारी कर रहा था,
तभी मैंने उस दुकान के कैशियर को एक 5-6
साल की लड़की से
बात करते हुए देखा |

कैशियर बोला :~
"माफ़ करना बेटी,
लेकिन इस गुड़िया को
खरीदने के लिए
तुम्हारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं|"

फिर उस छोटी सी
लड़की ने मेरी ओर
मुड़ कर मुझसे पूछा:~

"अंकल,
क्या आपको भी यही लगता है
कि मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं?''

मैंने उसके पैसे गिने
और उससे कहा:~
"हाँ बेटे,
यह सच है कि तुम्हारे पास
इस गुड़िया को खरीदने के लिए पूरे पैसे
नहीं हैं"|

वह नन्ही सी लड़की
अभी भी अपने
हाथों में गुड़िया थामे हुए खड़ी थी |
मुझसे रहा नहीं गया |
इसके बाद मैंने उसके पास जाकर उससे
पूछा कि यह गुड़िया वह किसे
देना चाहती है?

इस पर उसने
उत्तर दिया कि यह
वो गुड़िया है,
जो उसकी बहन को
बहुत प्यारी है |
और वह इसे,
उसके जन्मदिन के लिए उपहार
में देना चाहती है |

बच्ची ने कहा यह गुड़िया पहले मुझे
मेरी मम्मी को देना है,
जो कि बाद में मम्मी
जाकर मेरी बहन को दे देंगी"|

यह कहते-कहते
उसकी आँखें नम हो आईं थी
मेरी बहन भगवान के घर गयी है...

और मेरे पापा कहते हैं
कि मेरी मम्मी भी जल्दी-ही भगवान से
मिलने जाने वाली हैं|
तो, मैंने सोचा कि
क्यों ना वो इस
गुड़िया को अपने साथ ले जाकर, मेरी बहन
को दे दें...|"

मेरा दिल धक्क-सा रह गया था |

उसने ये सारी बातें
एक साँस में ही कह डालीं
और फिर मेरी ओर देखकर बोली -
"मैंने पापा से कह दिया है कि मम्मी से
कहना कि वो अभी ना जाएँ|

वो मेरा,
दुकान से लौटने तक का
इंतजार
करें|

फिर उसने मुझे एक बहुत प्यारा-
सा फोटो दिखाया जिसमें वह
खिलखिला कर हँस
रही थी |

इसके बाद उसने मुझसे कहा:~
"मैं चाहती हूँ कि मेरी मम्मी,
मेरी यह
फोटो भी अपने साथ ले जायें,
ताकि मेरी बहन मुझे भूल नहीं पाए|
मैं अपनी मम्मी से बहुत प्यार करती हूँ और
मुझे नहीं लगता कि वो मुझे ऐसे छोड़ने के
लिए राजी होंगी,
पर पापा कहते हैं कि
मम्मी को मेरी छोटी
बहन के साथ रहने के
लिए जाना ही पड़ेगा क्योंकि वो बहुत छोटी है, मुझसे भी छोटी है | उसने धीमी आवाज मैं बोला।

इसके बाद फिर से उसने उस
गुड़िया को ग़मगीन आँखों-से खामोशी-से
देखा|

मेरे हाथ जल्दी से
अपने बटुए ( पर्स ) तक
पहुँचे और मैंने उससे कहा:~

"चलो एक बार
और गिनती करके देखते हैं
कि तुम्हारे पास गुड़िया के
लिए पर्याप्त पैसे हैं या नहीं?''

उसने कहा-:"ठीक है|
पर मुझे लगता है
शायद मेरे पास पूरे पैसे हैं"|

इसके बाद मैंने
उससे नजरें बचाकर
कुछ पैसे
उसमें जोड़ दिए और
फिर हमने उन्हें
गिनना शुरू किया |

ये पैसे उसकी
गुड़िया के लिए काफी थे
यही नहीं,
कुछ पैसे अतिरिक्त
बच भी गए
थेl |

नन्ही-सी लड़की ने कहा:~
"भगवान्
का लाख-लाख शुक्र है
मुझे इतने सारे पैसे
देने के लिए!

फिर उसने
मेरी ओर देख कर
कहा कि मैंने कल
रात सोने से पहले भगवान् से
प्रार्थना की थी कि मुझे इस
गुड़िया को खरीदने के
लिए पैसे दे देना,
ताकि मम्मी इसे
मेरी बहन को दे सकें |
और भगवान् ने मेरी बात सुन ली|

इसके अलावा
मुझे मम्मी के लिए
एक सफ़ेद गुलाब
खरीदने के लिए भी पैसे चाहिए थे, पर मैं भगवान से
इतने ज्यादा पैसे मांगने
की हिम्मत नहीं कर पायी थी
पर भगवान् ने तो
मुझे इतने पैसे दे दिए हैं
कि अब मैं गुड़िया के साथ-साथ एक सफ़ेद
गुलाब भी खरीद सकती हूँ !
मेरी मम्मी को सफेद गुलाब बहुत पसंद हैं|

"फिर हम वहा से निकल गए |
मैं अपने दिमाग से उस छोटी-
सी लड़की को
निकाल नहीं पा रहा था |

फिर,मुझे दो दिन पहले
स्थानीय समाचार
पत्र में छपी एक
घटना याद आ गयी
जिसमें
एक शराबी
ट्रक ड्राईवर के बारे में
लिखा था|

जिसने नशे की हालत में
मोबाईल फोन पर
बात करते हुए एक कार-चालक
महिला की कार को
टक्कर मार दी थी,
जिसमें उसकी 3 साल
की बेटी की
घटनास्थल पर ही
मृत्यु
हो गयी थी
और वह महिला कोमा में
चली गयी थी|
अब एक महत्वपूर्ण निर्णय उस परिवार
को ये लेना था कि,
उस महिला को जीवन
रक्षक मशीन पर बनाए रखना है
अथवा नहीं?
क्योंकि वह कोमा से बाहर
आकर,
स्वस्थ हो सकने की
अवस्था में
नहीं थी | दोनों पैर , एक हाथ,आधा चेहरा कट चुका था । आॅखें जा चुकी थी ।

"क्या वह परिवार इसी छोटी-
लड़की का ही था?"

मेरा मन रोम-रोम काँप उठा |
मेरी उस नन्ही लड़की
के साथ हुई मुलाक़ात के 2 दिनों बाद मैंने अखबार में
पढ़ा कि उस
महिला को बचाया नहीं जा सका,

मैं अपने आप को
रोक नहीं सका और अखबार
में दिए पते पर जा पहुँचा,
जहाँ उस महिला को
अंतिम दर्शन के लिए
रखा गया था
वह महिला श्वेत धवल
कपड़ों में थी-
अपने हाथ में
एक सफ़ेद गुलाब
और उस छोटी-सी लड़की का वही हॅसता हुआ
फोटो लिए हुए और उसके सीने पर रखी हुई
थी -
वही गुड़िया |
मेरी आँखे नम हो गयी । दुकान में मिली बच्ची और सामने मृत ये महिला से मेरा तो कोई वास्ता नही था लेकिन हूं तो इंसान ही ।ये सब देखने के बाद अपने आप को सभांलना एक बडी चुनौती थी
मैं नम आँखें लेकर वहाँ से लौटा|

उस नन्ही-सी लड़की का
अपनी माँ और
उसकी बहन के लिए
जो बेपनाह अगाध प्यार था,
वह शब्दों में
बयान करना मुश्किल है |

और ऐसे में,
एक शराबी चालक ने
अपनी घोर
लापरवाही से क्षण-भर में
उस लड़की से
उसका सब कुछ
छीन लिया था....!!!

ये दुख रोज कितने परिवारों की सच्चाइ बनता है मुझे पता नहीं!!!!  शायद ये मार्मिक घटना
सिर्फ
एक पैग़ाम
देना चाहती है कि

कृपया

कभी भी शराब
पीकर और
मोबाइल पर बात
करते समय
वाहन ना चलायें
क्यूँकि आपका आनन्द
किसी के लिए
श्राप साबित हो सकता हैँ।

Monday 6 July 2015

बिहार-अज्ञात


बिहार -जहाँ भगवान राम की पत्नी सीता का जन्म हुआ

बिहार -जहाँ महाभारत के दानवीर करण का जन्म हुआ

बिहार - जहाँ सबसे पहले महाजनपद बना!

बिहार - जहा बुद्ध को ज्ञान मिला

बिहार -जहाँ भगवान महावीर का जन्म हुआ

बिहार -जहाँ सिखों के गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ

बिहार - जहाँ के राजा चन्द्रगुप्त मौर्या से लड़ने की हिम्मत
सिकंदर को भी नही हुई

बिहार - जहाँ के राजा महान अशोक ने अरब
तक हिंदुस्तान
का पताका फहराया

बिहार - राजा जराशंध,पाणिनि(जिसने
संश्कृत व्याकरण
लिखा )
आर्यभट, चाणक्य(महान
अर्थशात्री )
रहीम, कबीर
का जन्म हुआ !

बिहार - जहाँ के ८० साल के बूढ़े ने अंग्रेजो के
दांत खट्टे कर दिए
(बाबु वीर कुंवर सिंह )

बिहार - जिसने देश
को पहला राष्ट्रपति दिया

बिहार - जहाँ के गोनू झा के किस्से पुरे
हिंदुस्तान में प्रशिद्ध है !

बिहार - जहाँ महान जय प्रकाश नारायण
का जन्म हुआ !

बिहार - जहाँ भिखारी ठाकुर (विदेशिया)
का जन्म हुआ !

बिहार - जहाँ शारदा सिन्हा जैसी महान
भोजपुरी गायिका का जन्म हुआ !

बिहार - जहाँ - स्वामी सहजानंद सरस्वती,
राम शरण शर्मा,
राज कमल झा ,
विद्यापति,
रामधारी सिंह‘दिनकर'
रामवृक्ष बेनीपुरी,
देवकी नंदन खत्री,
इन्द्रदीप सिन्हा
राम करण शर्मा, महामहोपाध्याय पंडित राम
अवतार शर्मा,
नलिन विलोचन शर्मा गंगानाथ झा
ताबिश खैर
कलानाथ मिश्र
आचार्य रामलोचन सरन
गोपाल सिंह नेपाली
बिनोद बिहारी वर्मा
आचार्य रामेश्वर झा
राघव शरण शर्मा
नागार्जुन
आचार्य जानकी बल्लभ शाश्त्री

जैसे महान लेखको का जन्म हुआ !

बिहार - जहाँ बिस्स्मिल्लाह खान का जन्म हुआ

बिहार - जहाँ आज भी दिलो में प्रेम बसता है

बिहार - जहाँ आज भी बच्चे अपने माँ - बाप के
पैर दबाये
बिना नही सोते

बिहार - जहाँ से सबसे ज्यादा बच्चे देश का सबसे कठिन
परीक्षा u .p .s .c. और IIT पास करते है

बिहार - जहाँ के गाँव में आज
भी दादा दादी अपने
बच्चो को कहानिया सुनाते है

बिहार - जहाँ आज भी भूखे रह के अतिथि को खिलाया जाता है

बिहार - जहाँ के बच्चे कोई सुविधा न होते हुए
भी देश में सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी पते है !

हम इसी बिहार के रहने वाले हैं !







तो क्यों न
करे खुद के
बिहारी होने पर गर्व !जय बिहार !!



Monday 29 June 2015

बचपन की यादें-व्हाट्सएप्प कहानियां

बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे
२ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...
वो पतंग भी हमे बहोत दौड़ाती थी...
आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...

खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...
शायद यही जिंदगी की दौड़ है ...!!!
जब बचपन था, तो जवानी एक ड्रीम था...
जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था... !!
जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी...
आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है... !!

कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था...
आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना पसंद है... !!!
स्कूल में जिनके साथ ज़गड़ते थे, आज उनको ही इंटरनेट पे तलाशते है... !!
ख़ुशी किसमे होतीं है, ये पता अब चला है...
बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है...
काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल..
.काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!!
जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|
जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |
जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..
जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |
सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |

On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |
फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |
बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |
फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |
सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?
और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?

ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....
वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी..

बचपन कि ये लाइन्स .
जिन्हे हम दिल से गाते
गुनगुनाते थे ..
और खेल खेलते थे ..!!
तो याद ताज़ा कर लीजिये ...!!

▶ मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जायेगी
बाहर निकालो मर जायेगी।

▶ पोशम्पा भाई पोशम्पा,
सौ रुपये की घडी चुराई।
अब तो जेल मे जाना पडेगा,
जेल की रोटी खानी पडेगी,
जेल का पानी पीना पडेगा।
थै थैयाप्पा थुशमदारी बाबा खुश।

▶ आलू-कचालू बेटा कहाँ गये थे,
बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।

▶ आज सोमवार है,
चूहे को बुखार है।
चूहा गया डाक्टर के पास,
डाक्टर ने लगायी सुई,
चूहा बोला उईईईईई।

▶ झूठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है।
काली माई आयेगी,
तुमको उठा ले जायेगी।

▶ चन्दा मामा दूर के,
पूए पकाये भूर के।
आप खाएं थाली मे,
मुन्ने को दे प्याली में।

▶ तितली उड़ी,
बस मे चढी।
सीट ना मिली,
तो रोने लगी।
ड्राईवर बोला,
आजा मेरे पास,
तितली बोली ” हट बदमाश “।

▶ मोटू सेठ,
पलंग पर लेट ,
गाडी आई,
फट गया पेट

माँ का दिल-अज्ञात

एक 16 के लड़के ने
अपनी मम्मी से कहा की "
मम्मी मुझे मेरे 18 सालवे के
जन्मदिन पर क्या गिफ्ट
दोगी ?
.
तो उस लड़के की मम्मी ने
उस से कहा की जब
तेरा 18
सालवा आएगा तो अलमारी के
ऊपर देख लेना उसमे
तेरा गिफ्ट
रहेगा अभी बता दूंगी तो
गिफ्ट
का मज़ा नहीं आएगा। .
कुछ दिन बाद
वो लड़का बीमार
हो गया उसके
मम्मी पापा उसको अस्पताल
लेकर गए
.
जाँच के बाद डॉक्टर ने
लड़के के माता पिता से
कहा की इसके दिल मै छेद
है ये अब २ महीने से
जयादा नही जी पायेगा
.
2 साल भर बाद लड़का ठीक
होकर घर गया।
तो उसे पता चला की उसकी
माँ नही रही।
उसे ये पता चलते ही उसने
अलमारी खोली और उसने देखा की
अलमारी में एक गिफ्ट
पड़ा था। उसने जल्दी से
वो गिफ्ट खोला
उस गिफ्ट में एक
चिठ्ठी थी उस चिट्टी में
लिखा था की
.
" मेरे जिगर के टुकड़े अगर तू
ये चिठ्ठी पढ़ रहा है
तो तू बिलकुल ठीक
होगा तुजे याद है जब तू
बीमार हुआ था तब हम तुजे
अस्पताल लेकर गए थे
डॉक्टर ने कहा की तेरे
दिल में छेद है तो उस दिन
मै बहुत रोई और
फैसला किया की मेरा दिल
तुजे दूंगी याद है एक दिन
तूने कहा था की मम्मी मुझे
18 साल वे जन्मदिन पर
क्या दोगी तो बेटा मै तुजे
अपना दिल दे रही हु
उसको हमेशा संभाल कर
रखना। …… हैप्पी बर्थडे
बेटा '
.
.
सार : एक माँ इसलिए मर
गयी क्यों की उसका बेटा जी
सके। ....
दुनिया में माँ से बड़ा दिल
किसी का नही!

Sunday 28 June 2015

मुश्किलें तमाम हैं मगर ठहरा नही हूँ मैं-अज्ञात

मुश्किलें तमाम हैं मगर ठहरा नही हूँ मैं,
मंज़िलों से ज़रा कह दो, अभी पहुंचा नही हूँ मैं;

कदमों को न बाँध पायेगीं मुसीबतों की जंजीरें,
रास्तों से ज़रा कह दो अभी भटका नहीं हूँ मैं;

दिल में छुपा के रखी हैं, लड़कपन की चाहतें,
दोस्तों से ज़रा कह दो अभी बदला नही हूँ मैं;

साथ चलता है दुआओं का काफ़िला,
किस्मत से ज़रा कह दो, अभी तनहा नही हूँ मैं।

पुराना इतवार मिला है-अज्ञात

जाने क्या ढूँढने खोला था
उन बंद दरवाजों को ...
अरसा बीत गया सुने
उन धुंधली आवाजों को ...
यादों के सूखे बागों में जैसे
एक गुलाब खिला है ...
आज उस बूढी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है ...

कांच के एक डिब्बे में कैद
खरोचों वाले कुछ कंचे ...
कुछ आज़ाद इमली के दाने
इधर उधर बिखरे हुए ...
मटके का इक चौकोर लाल टुकड़ा
पड़ा बेकार मिला है ...
आज उस बूढी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है ...

एक भूरी रंग की पुरानी कॉपी
नीली लकीरों वाली ...
कुछ बहे हुए नीले अक्षर
उन पुराने भूरे पन्नों में ...
स्टील के जंक लगे शार्पनर में पेंसिल का एक छोटा टुकड़ा गिरफ्तार मिला है ...
आज उस बूढी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है ...

बदन पर मिटटी लपेटे
एक गेंद पड़ी है ...
लकड़ी का एक बल्ला भी है
जो नीचे से छिला छिला है ...
बचपन फिर से आकर
साकार मिला है ...
आज उस बूढी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है ...

एक के ऊपर एक पड़े
माचिस के कुछ खाली डिब्बे ...
बुना हुआ एक फटा सफ़ेद स्वेटर
जो अब नीला नीला है ...
पीला पड़ चूका झुर्रियों वाला
एक अखबार मिला है ...
आज उस बूढी अलमारी के अन्दर ...
पुराना इतवार मिला है ...

गत्ते का एक चश्मा है
पीली पस्टिक वाला ...
चंद खाली लिफ़ाफ़े
बड़ी बड़ी डाक टिकिटों वाले ...
उन खाली पड़े लिफाफों में भी छुपा
एक इंतज़ार मिला है ...
आज उस बूढी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है ...

पापा ने चार दिन रोने के बाद
जो दी थी वो रुकी हुई घडी ...
दादा जी के डायरी से चुराई गयी
वो सुखी स्याही वाला कलम मिला है ...
दादी ने जो पहले जन्मदिन पे दिया था
वो शृंगार मिला है ...
आज उस बूढी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है ...

कई बरस बीत गए
आज यूँ महसूस हुआ ...
रिश्तों को निभाने की दौड़ में
भूल गये थे जिसे ...
यूँ लगा जैसे वही बिछड़ा
पुराना यार मिला है ...
आज उस बूढी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है ...

आज उस बूढी अलमारी के अन्दर
पुराना इतवार मिला है ...

Thursday 25 June 2015

यमराज की लिस्ट-अज्ञात


एक दिन यमराज एक लड़के के पास आये और बोले -

"लड़के, आज तुम्हारा आखरी दिन है!"

लड़का :  "लेकिन मैं अभी तैयार नही हुँ ".

यमराज : "ठिक है लेकिन सूची मे तुम्हारा नाम पहला है".

लड़का : "ठिक है , फिर क्युं ना हम जाने से पहले साथ मे बैठ कर चाय पी ले ?

यमराज : "सहि है".

लड़के ने चाय मे नीद की गोली मिला कर यमराज को दे दी.

यमराज ने चाय खत्म की और गहरी नींद मे सो गया.

लड़के ने सूची मे से उसका नाम शुरुआत से हटा कर अंत मे लिख दिया.

जब यमराज को होश आया तो वह लड़के से बोले -"क्युंकी तुमने मेरा बहुत ख्याल रखा इसलिये मे अब सूची अंत से चालू करूँगा"..!

सीख :

"किस्मत का लिखा कोई नही मिटा सकता"
अर्ताथ - जो तुम्हारी किस्मत मे है वह कोई नही बदल सकता चाहे तुम कितनी भी कोशिश कर लो .

इसलिये भगवत गीता मे श्री कृष्ण ने कहा है -

"तू करता वही है जो तू चाहता है,

पर होता वही है जो मैं चाहता हुँ

तू कर वह जो मैं चाहता हुँ
फिर होगा वही जो तू चाहता हैं"

    

कुछ फर्ज निभाना बाकी है-अज्ञात

आहिस्ता  चल  जिंदगी,अभी
कई  कर्ज  चुकाना  बाकी  है
कुछ  दर्द  मिटाना   बाकी  है
कुछ   फर्ज निभाना  बाकी है
                   रफ़्तार  में तेरे    चलने से
                   कुछ रूठ गए कुछ छूट गए
                   रूठों को मनाना बाकी है
                   रोतों को हँसाना बाकी है
कुछ रिश्ते बनकर ,टूट गए
कुछ जुड़ते -जुड़ते छूट गए
उन टूटे -छूटे रिश्तों के
जख्मों को मिटाना बाकी है
                    कुछ हसरतें अभी  अधूरी हैं
                    कुछ काम भी और जरूरी हैं
                    जीवन की उलझ  पहेली को
                    पूरा  सुलझाना  बाकी     है
जब साँसों को थम जाना है
फिर क्या खोना ,क्या पाना है
पर मन के जिद्दी बच्चे को
यह   बात   बताना  बाकी  है
                     आहिस्ता चल जिंदगी,
                     कई कर्ज चुकाना बाकी है.
                     कुछ दर्द मिटाना बाकि है  
                     कुछ  फर्ज निभाना बाकी है