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Monday, 27 April 2015

फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें-श्रीनाथ आशावादी

शेर : नारी जब सिंगार करे त फूल भी लजा जाला

नारी जब कठोर बने त पत्थर भी शरमा जाला 
“आशावादी” कहे कि नारिये से युद्ध में 
बड़े बड़े वीरन के पांव डगमगा जाला


गीत: जिनगी सवाँरेला अधिकार लेके रहिहें
फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें

मोम से मुलायम हई , पत्थर से कठोर हो 
केहू खातिर अमृत हई, केहू खातिर जहर हो 
बिगड़ल दुनिया ला ई माहूर बन जईहें
फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें


झाँसी के रानी के ई जान ताटे दुनिया 
शान तुडली दुश्मन के मान ताटे दुनिया
झाँसी के रानी के अवतार बन जईहें
फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें


जगिहें बहिनियाँ त बड़ा उपकार होई
सचमुच में देश के आ घर के उद्धार होई 
जे “आशावादी” के ई रहिया पे चलिहें
फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें 




“श्रीनाथ आशावादी”

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