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Saturday, 25 April 2015

चंद्रधर शर्मा गुलेरी-सुनीति

निज गौरव को जान आत्मआदर का करना
निजता की की पहिचान, आत्मसंयम पर चलना

ये ही तीनो उच्च शक्ति, वैभव दिलवाते,
जीवन किन्तु न डाल शक्ति वैभव के खाते ।

(आ जाते ये सदा आप ही बिना बुलाए ।)

चतुराई की परख यहाँ-परिणाम न गिनकर,
जीवन को नि:शक चलाना सत्य धर्म पर,

जो जीवन का मन्त्र उसी हर निर्भय चलना,
उचित उचित है यही मान कर समुचित ही करनाI

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