मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


Tuesday, 28 April 2015

शरीफ़ चोर-मुल्ला नसरुद्दीन

एक रात मुल्ला नसरुद्दीन का गधा चोरी हो गया. अगले दिन मुल्ला ने गधे के बारे में पड़ोसियों से पूछताछ की.
चोरी की खबर सुनकर पड़ोसियों ने मुल्ला को लताड़ना शुरू कर दिया. एक ने कहा, “तुमने रात को अस्तबल का दरवाज़ा खुला क्यों छोड़ दिया?”
दूसरे ने कहा, “तुमने रात को चौकसी क्यों नहीं बरती. तुम होशियार रहते तो चोर गधा नहीं चुरा पाता!”
तीसरे ने कहा, “तुम घोड़े बेचकर सोते हो, तभी तुम्हें कुछ सुनाई नहीं दिया जब चोर अस्तबल की कुंडी सरकाकर गधा ले गया”.
यह सब सुनकर मुल्ला ने फनफनाते हुए कहा, “ठीक है भाइयों! जैसा कि आप सभी सही फरमाते हैं, सारा कसूर मेरा है और चोर बेचारा तो पूरा पाक-साफ़ है”.

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