मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


Friday, 17 April 2015

मँहगाई / काका हाथरसी

जन-गण मन के देवता, अब तो आँखें खोल 
महँगाई से हो गया, जीवन डाँवाडोल 
जीवन डाँवाडोल, ख़बर लो शीघ्र कृपालू 
कलाकंद के भाव बिक रहे बैंगन-आलू 
कहँ 'काका' कवि, दूध-दही को तरसे बच्चे 
आठ रुपये के किलो टमाटर, वह भी कच्चे 

राशन की दुकान पर, देख भयंकर भीर 
'क्यू' में धक्का मारकर, पहुँच गये बलवीर 
पहुँच गये बलवीर, ले लिया नंबर पहिला 
खड़े रह गये निर्बल, बूढ़े, बच्चे, महिला 
कहँ 'काका' कवि, करके बंद धरम का काँटा 
लाला बोले-भागो, खत्म हो गया आटा

No comments:

Post a Comment