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Friday, 17 April 2015

इब्नबतूता का जूता-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

इब्नबतूता
पहन के जूता
निकल पड़े तूफान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई
थोड़ी घुस गई कान में
कभी नाक को
कभी कान को
मलते इब्नबतूता
इसी बीच में निकल पड़ा
उनके पैरों का जूता
उड़ते उड़ते उनका जूता
पहुंच गया जापान में
इब्नबतूता खड़े रह गये
मोची की दूकान में

इब्‍ने बतूता, 
बगल में जूता
पहने तो करता है चुर्रर
उड उड आवे, दाना चुगेवे
उड जावे चिडिया फुर्रर

अगले मोड पे, मौत खड़ी है
अरे मरने की भी क्‍या जल्‍दी है
होर्न बजाके, आ बगियन में
हो दुर्घटना से देर भली है
चल उड जा उड जा फुर फुर

दोनों तरफ से बजती है ये
आय हाय जिंदगी क्‍या ढोलक है
हॉर्न बजाके आ आ बगियन में
अरे थोड़ा आगे गतिरोधक है 

अरे चल चल उड़ जा फुर्र फुर्र 

इब्नबतूता 
बगल में जूता 
पहने तो करता है जुर्म 
उड़ उड़ आवे दाना चुगे 

उड़ जावे चिड़िया फुर्र 

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