मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


Saturday, 25 April 2015

बशीर बद्र-रात के साथ रात लेटी थी

रात के साथ रात लेटी थी 
सुबह एक पालने में रोती थी 

याद की बर्फपोश टहनी पर
एक गिलहरी उदास बैठी थी

मैं ये समझा के लौट आए तुम
धूप कल इतनी उजली उजली थी 

कितने शादाब, कितने दिलकश थे
जब नदी रोज हमसे मिलती थी

एक कुर्ते के बाएँ कोने पर
प्यार की सुर्ख तितली बैठी थी

कितनी हल्की कमीज़ पहने हुए 
सुबह अंगड़ाई लेके बैठी थी 

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