मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


Tuesday, 5 May 2015

बुजुर्गों की होली-बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

बुजुर्गों     के      संग 
धुले मन का उमंग .
खेलो     होली    ऐसे 
जैसे    कोई सत्संग .

जैसे    कोई       सत्संग 
कि अबीर ही है आस. 
डालो   संभल   के जरा 
दुःख    रही     है नाक.

दुःख       रही      है   नाक 
कि    करो     बस   प्रणाम .
रंग को    तो    दूर से ही 
राम राम भाई राम राम .

No comments:

Post a Comment