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Tuesday, 5 May 2015

कुछ समय तो निकालो, मुस्कुराने के लिए-हुल्लड़ मुरादाबादी

मसखरा मशहूर है, आँसू बहानेके लिए
बाँटता है वो हँसी, सारे ज़माने के लिए

घाव सबको मत दिखाओ, लोग छिड़केंगे नमक
आएगा कोई नहीं मरहम लगाने के लिए

देखकर तेरी तरक्की, ख़ुश नहीं होगा कोई
लोग मौक़ा ढूँढते हैं, काट खाने के लिए

फलसफ़ा कोई नहीं है, और न मकसद कोई
लोग कुछ आते जहाँ में, हिनहिनाने के लिए

मिल रहा था भीख में, सिक्का मुझे सम्मान का
मैं नहीं तैयार झुककर उठाने के लिए

ज़िंदगी में ग़म बहुत हैं, हर कदम पर हादसे रोज
कुछ समय तो निकालो, मुस्कुराने के लिए

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