मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


Saturday, 20 June 2015

ठहरा हुआ एहसास-इला कुमार

एक एक बीता हुआ क्षण
हाँ 
पलों मे फासला तय करके वर्षो का
सिमट आता है सिहरनो में 
बंध जाना ज़ंजीरों से मृदुल धागों में 
सिर्फ़ इक जगमगाहट, 

कितनी ज़्यादा तेज सौ मर्करी की रोशनियों से 
कि
हर वाक्य को पढ़ना ही नहीं सुनना भी आसान
कितनी बरसातें आकर गई 

अभी तक मिटा नहीं नंगे पावों का एक भी निशान
क्या इतने दिनों में किसी ने छुआ नहीं 
बैठा भी नहीं कोई?

अभी भी दूब
वही दबी है जहाँ टिकाई थी, 
हथेलियाँ, हमने.

No comments:

Post a Comment