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Friday, 5 June 2015

यारी के वास्ते-बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

कभी भी बेहिचक 
खखार सकते हो 
बिना खौफ पे 
मार सकते हो टंगड़ी 
लताड़ सकते हो

खी खी करके हसने में भी 
हिचक नहीं होती 
दोस्तों के सामने रोने में भी 
झिझक नहीं होती

गर निभानी पड़ जाये 
वो दोस्ती नहीं 
तकरार से टूट जाये 
नहीं दोस्ती कोई

जाने अनजाने कई बार 
फसा जाते है 
यार जब भी याद आते है 
सपनों में भी हसांते है

दोस्त हाथ मिलाते है 
गन्दगी फैलाते है 
फ़ैलाने का अधिकार है 
हां दोस्तों के वास्ते 
मुझे ये भी स्वीकार है




बेनाम कोहड़ाबाज़ारी 
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन

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