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Tuesday, 9 June 2015

बीड़ी का कश-बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

मैंने पूछा अपने गाँव की
बड़की माई से
कैसे जिन्दा है आप
बिना पढ़े एक भी किताब

तो कहा उन्होंने
ठीक वैसे ही
जैसे तू जिन्दा है
बिना लिए
बीड़ी का
एक भी कश


बेनाम कोहड़ाबाज़ारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन 

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