जियौ बहादुर खद्दर धारी!
ई मँहगाई ई बेकारी,
नफ़रत कै फ़ैली बीमारी
दुखी रहै जनता बेचारी,
बिकी जात बा लोटा-थारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
मनमानी हड़ताल करत हौ,
देसवा का कंगाल करत हौ
खुद का मालामाल करत हौ,
तोहरेन दम से चोर बज़ारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
धूमिल भै गाँधी कै खादी,
पहिरै लागै अवसरवादी
या तो पहिरैं बड़े प्रचारी,
देश का लूटौ बारी-बारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
तन कै गोरा, मन कै गन्दा,
मस्जिद मंदिर नाम पै चंदा
सबसे बढ़ियाँ तोहरा धंधा,
न तौ नमाज़ी, न तौ पुजारी
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
सूखा या सैलाब जौ आवै,
तोहरा बेटवा ख़ुसी मनावै
घरवाली आँगन मा गावै,
मंगल भवन अमंगल हारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
झंडै झंडा रंग-बिरंगा,
नगर-नगर मा कर्फ़्यू दंगा
खुसहाली मा पड़ा अड़ंगा,
हम भूखा तू खाव सोहारी
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
बरखा मा विद्यालय ढहिगा,
वही के नीचे टीचर रहिगा
नहर के खुलतै दुई पुल बहिगा,
तोहरेन पूत कै ठेकेदारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.
Monday, 27 July 2015
जियौ बहादुर खद्दर धारी!-व्हाट्सएप्प कविताएँ
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