मुद्दों के बिना बगावत नहीं चलती,
किताब के बिना अदालत नहीं सजती,
कानून को जान के बनता नहीं कोई वकील,
पेट में दांत ना हो, तो वकालत नहीं चलती।
बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन
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