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Thursday, 8 June 2017

ज़रा पाने की चाहत में, बहुत कुछ छूट जाता है

ज़रा पाने की चाहत में, बहुत कुछ छूट जाता है,
नदी का साथ देता हूँ, समंदर रूठ जाता है.

~आलोक श्रीवास्तव

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