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Monday 1 June 2020

अब गए काम से





अगर सच से बोले , तो गए काम से,
अगर हक से बोले, तो गए काम से।
लाला  को भाये जो, लहजे में सीखो ,
ना हो जी हुजूरी, तब  गए काम से।

कुक्कुर से पूछो  दुम कैसे हिलाना,
काम जो अधूरे याद रातों को आना,
उल्लू के जैसे हीं काम सारे रातों को,
करना जरूरी  अब गए काम से।

लाला  की बातों पर गर्दन हिलाओ,
मसौदा गलत हो सही पर बताओ ,
टेड़ी हो गर्दन  पर झुकना जरूरी,
है आफत मजबूरी अब गए काम से।

लाला की बातें  सह सकते नहीं ,
कहना जो चाहें कह सकते नहीं ,
सीने की बातें ना आती जुबाँ तक ,
खुद से बड़ी दुरी है गए काम से।

उम्मीद भी जगाता है लाला पर ऐसा,
मरू स्थल  के सूखे सरोवर के जैसा , 
आस भी अधूरी है प्यास भी अधूरी , 
कि वादों में विष है अब गए काम से।

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