मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


Wednesday 9 August 2017

Effort

Standing on Ground
and dreaming for sky
How can you realize
Unless you fly


Ajay Amitabh Suman

Spiritually Sick

Bodily fit but spiritually sick
Brag not muscles, regard the week
Never respected , if you do other wise
Though epitome of valour , won many fight


Ajay Amitabh Suman

Monday 7 August 2017

अरिहत चिरंतन है-बेनाम कोहड़ा बाज़ारी





कह गए अनगिनत सन्तन है,
चित संलिप्त नित चिंतन है।
स्थितप्रज्ञ उपरत अविकल जो,
 अरिहत चिरंतन है।


                   बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
                   उर्फ
                   अजय अमिताभ सुमन

Tuesday 1 August 2017

अहम का था बना वो -बेनाम कोहड़ा बाज़ारी

अहम का था बना वो, वहम में हिल गया,
मिट्टी से न जुड़ा था , मिट्टी में मिल गया।



बेनाम कोहड़ा बाज़ारी
उर्फ
अजय अमिताभ सुमन

जो मौत से न डरता था -रजनी

जो मौत से न डरता था, बच्चों  से डर गया ,
एक रात जब खाली हाथ, मजदूर घर गया .


                                        रजनी 

Friday 14 July 2017

उसूलों पर जहाँ आँच आए, टकराना ज़रूरी है

उसूलों पर जहाँ आँच आए, टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर, ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है

- वसीम बरेलवी

Monday 10 July 2017

हम ने क्या पा लिया हिन्दू या मुसलमाँ हो कर

हम ने क्या पा लिया हिन्दू या मुसलमाँ हो कर
क्यूँ न इंसाँ से मोहब्बत करें इंसाँ हो कर 

नक़्श लायलपुरी

Tuesday 27 June 2017

काम मुश्किल है बहुत पर ना-मुमकिन तो नही

काम मुश्किल है बहुत पर ना-मुमकिन तो नही
किसी रोते हुऐ बच्चे को हंसा दो तो ईद हो जाए

Monday 26 June 2017

आसमान पर ठिकाने किसी के नहीं होते,

आसमान पर ठिकाने किसी के नहीं होते,
जो जमी के नहीं होते वो कहीं के नहीं होते।

तेरी ईद मैं मना लूं , मेरी मना ले तू दीवाली,

तेरी ईद मैं मना लूं , मेरी मना ले तू दीवाली,
छोड़ दे सब फसादों को , देश में होने दे खुशहाली.

रविश कुमार

जाते जाते ये हमें, बता गया रमज़ान,

जाते जाते ये हमें, बता गया रमज़ान,
बैर-भाव को त्याग दे, ज़िंदा रख ईमान.

विजेन्द्र शर्मा

Sunday 25 June 2017

मस्तों के जो उसूल हैं उन को निभा के पी

मस्तों के जो उसूल हैं उन को निभा के पी
इक बूँद भी न कल के लिए तू बचा के पी

फ़य्याज हाशमी

हम किसको दें भला दर ओ दीवार का हिसाब

हम किसको दें भला दर ओ दीवार का हिसाब

हम जो हैं ज़मीं के ही न थे आसमां के थे

जौन

तुम्हारा सिर्फ हवाओं पे शक गया होगा,

तुम्हारा   सिर्फ   हवाओं  पे  शक  गया   होगा,
चिराग़ खुद भी तो जल जल के थक गया होगा,,

ज़ुबैर अली अब्बास

Saturday 24 June 2017

मेरे लिखे लफज़ ही पढ़ पाया वो बस ,

मेरे लिखे लफज़ ही पढ़ पाया वो बस ,
मुझे भी पढ़ पाए इतनी उसकी तालीम नहीं.