and dreaming for sky
How can you realize
मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.
उसूलों पर जहाँ आँच आए, टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर, ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है
- वसीम बरेलवी
हम ने क्या पा लिया हिन्दू या मुसलमाँ हो कर
क्यूँ न इंसाँ से मोहब्बत करें इंसाँ हो कर
नक़्श लायलपुरी
काम मुश्किल है बहुत पर ना-मुमकिन तो नही
किसी रोते हुऐ बच्चे को हंसा दो तो ईद हो जाए
आसमान पर ठिकाने किसी के नहीं होते,
जो जमी के नहीं होते वो कहीं के नहीं होते।
तेरी ईद मैं मना लूं , मेरी मना ले तू दीवाली,
छोड़ दे सब फसादों को , देश में होने दे खुशहाली.
रविश कुमार
जाते जाते ये हमें, बता गया रमज़ान,
बैर-भाव को त्याग दे, ज़िंदा रख ईमान.
विजेन्द्र शर्मा
मस्तों के जो उसूल हैं उन को निभा के पी
इक बूँद भी न कल के लिए तू बचा के पी
फ़य्याज हाशमी
हम किसको दें भला दर ओ दीवार का हिसाब
हम जो हैं ज़मीं के ही न थे आसमां के थे
जौन
तुम्हारा सिर्फ हवाओं पे शक गया होगा,
चिराग़ खुद भी तो जल जल के थक गया होगा,,
ज़ुबैर अली अब्बास
मेरे लिखे लफज़ ही पढ़ पाया वो बस ,
मुझे भी पढ़ पाए इतनी उसकी तालीम नहीं.