मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी पसंदीदा कविताओं,कहानियों, को दुनिया के सामने लाने के लिए कर रहा हूँ. मैं इस ब्लॉग का इस्तेमाल अव्यावसायिक रूप से कर रहा हूँ.मैं कोशिश करता हूँ कि केवल उन्ही रचनाओं को सामने लाऊँ जो पब्लिक डोमेन में फ्री ऑफ़ कॉस्ट अवेलेबल है . यदि किसी का कॉपीराइट इशू है तो मेरे ईमेल ajayamitabhsuman@gmail.comपर बताए . मैं उन रचनाओं को हटा दूंगा. मेरा उद्देश्य अच्छी कविताओं,कहानियों, को एक जगह लाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है.


Sunday, 26 April 2015

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी-मैं अनेक हूँ .

सड़क पे एक्सीडेन्ट में लोगो को मरते देख
डरने वाला आदमी ,

ऑफिस में लेट पहुँचने के डर से
सड़क पे सरपट दौड़ लगाने वाला आदमी .

ऑफिस में अपने से छोटे स्टाफ को
झूठ बोलने पे गाँधी का लेक्चर देने वाला आदमी ,
और घर पे पडोसी को एवोइड करने के लिए
बेटे से झूठ कहलवाने वाला आदमी .

बेटे को टी वी से चिपक कर क्रिकेट देखने पे
जोर से डपटने वाला आदमी ,
और ऑफिस से लौटते वक्त एक दुकान के सामने खड़े हो
मिनटों क्रिकेट का लुत्फ़ उठाने वाला आदमी .

कोर्ट में क्लर्क के एक्स्ट्रा पैसे मांगने पे
झुंझलाने वाला आदमी ,
और रोड पे एक का सिक्का मिलने पे
चुपचाप जेब में रखने वाला आदमी .

सुबह जल्दी उठने का निश्चय कर
रात को जल्दी सोने वाला आदमी ,
और सुबह थोड़ा और थोड़ा और कर
देर से उठकर झुंझलाने वाला आदमी .

मैं अनेक हूँ .



अजय अमिताभ सुमन
उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

No comments:

Post a Comment