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Saturday, 20 June 2015

यूँ दिल में अरमान बहुत हैं-जगदीश चंद्र ठाकुर

यूँ दिल में अरमान बहुत हैं 
अक्षत कम भगवान बहुत हैं |

हासिल हो तो भी क्या होगा 
फिर भी वे हैरान बहुत हैं |

यहाँ मुखौटे का फैशन है
गुल हैं कम गुलदान बहुत हैं |

शहर नया दस्तूर पुराना 
दर हैं कम दरबान बहुत हैं |

सच बोलोगे, दार मिलेगी 
झूठ कहो, ईनाम बहुत हैं | 

हैं हकीम बीमार आज खुद 
नुस्खे भी नादान बहुत हैं |

सुबह तुम्हारी मुट्ठी में है 
दुनिया में इंसान बहुत हैं |

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