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Tuesday, 2 June 2015

अन्ना का चूस लिया गन्ना-बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

पहली बात तो मैं ये बता दूँ की ना तो मैं केजरीवाल जी का विरोधी हूँ , ना अन्ना जी का समर्थक . और एक बात ये भी बता दूँ की इस लेख का जो शीर्षक है उसका लेखक भी मैं नहीं . इस लेख का लेखक दरअसल एक ऑटो वाला है जिसने हाल ही में ये बात कही थी मजाकिया अंदाज में . खैर उसने ये बात "अन्ना का चूस लिया गन्ना" इस परिप्रेक्ष्य में कही कि केजरीवालजी ने अपने राजनैतिक कैरियर के लिए अन्नाजी का उपयोग किया , यूज किया , फिर चूस के उन्हें फेंक दिया . ये बात मेरे जेहन में भीतर तक घुस गयी . फिर मुझे वो सारी बातें एक एक कर याद आने लगी . मुझे रामलीला मैदान याद आने लगा जहाँ पे मेरे जैसे हजारों लोग पहुंचे थे और भींगते हुए पानी में अन्नाजी घंटों तक अन्नाजी का स्वागत किया था . उन दिनों हमलोग अन्नाजी और किरण बेदी के नाम से हीं पहुंचे थे . केजरीवालजी को कोई नहीं जान रहा था. कुमार विश्वास कि कविताएँ हमें आंदोलित कर रही थी. अन्नाजी के उपवास के दबाव में पार्लियामेंट का सेशन बुलाया गया . मुझे ये भी याद आया कि कैसे अन्नाजी को जेल भेजा गया और कैसे अन्नाजी के समर्थन में सारा देश जाग उठा था . देश का कोना कोना अन्नाजी क़ी ताकत क़ी दुहाई दे रहा था. अन्नाजी में गांधीजी क़ी झलक दिखाई पद रही थी .चारो तरफ "मैं भी अन्ना , तू भी अन्ना " कि आवाजें चल रही थी .  
         फिर दिखाई पड़ने लगता है आज का दिन . केजरीवालजी आज दिल्ली के सी.एम. मनीष सिसोदियाजी जी दिल्ली के डिप्टी सी.एम. और अन्नाजी राजनैतिक हासिये पे . मैं सोचता हूँ आज जो कुछ भी हुआ है , अगर अन्नाजी का आंदोलन नहीं हुआ होता , तो क्या आज ये हो पाता ? क्या केजरीवालजी आज दिल्ली के सी.एम. मनीष सिसोदियाजी जी दिल्ली के डिप्टी सी.एम. बन पाते ? क्या लोग केजरीवालजी और मनीष सिसोदियाजी को जान पाते ? आज के दिन अन्नाजी भले हीं याद नहीं आते हो , पर ये बात भूलनेवाली नहीं है कि सत्तर से ज्यादा उम्र का एक आदमी कैसे देश कि भलाई के अपनी जान क़ी बाजी लगा देता है . मायावतीजी ने भी अपने राजनैतिक गुरु कांशीराम को अमर बना दिया. अब कांशीरामजी को दुनिया जानती है . यदि केजरीवालजी उस ऑटो रिक्शावाले क़ी बात को सच में गलत साबित करना चाहते है तो ये बेहतर होता क़ी अन्नाजी क़ी याद में दिल्ली में कोई हॉस्पिटल , स्कूल , कॉलेज आदि बनवा दे ताकि लोग अन्नाजी के कंट्रीब्यूशन को भूलें नहीं . नहीं तो  उस ऑटो रिक्शावाले जैसे कई लोग केजरीवालजी पे ये लांछन जरूर लगते रहेंगे कि "अन्ना का चूस लिया गन्ना".
 

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